Sahibganj: अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित बरहेट (Barhet) विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गमालियल हेम्ब्रम (Gamaliyel Hembram) को मैदान में उतारा है। उन्हें राजनीति में आए हुए महज 5 साल हुए हैं। करीब 5 साल पहले उन्होंने टीचर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था। उनकी पत्नी भी जनप्रतिनिधि हैं। गमालियल हेम्ब्रम (Gamaliyel Hembram) का फुटबॉल से गहरा लगाव है, वे इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करने के लिए जाने जाते हैं, इसमें देश-विदेश के खिलाड़ी शामिल होते हैं। गमालियल वर्ष 2019 में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उस वक़्त गमालियल भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्त्ता थे और बरहेट सीट से टिकट दावेदारी के रेस थे। लेकिन पार्टी ने सिमोन मालतो (Simon Malto) को अपना प्रत्याशी बनाया जिससे गमालियल ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया। भाजपा के तरफ से उन्हें मनाने का दौर भी चला लेकिन गमालियल ने पार्टी छोड़ आजसू का दामन थाम लिया।आजसू की टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए गमालियल हेम्ब्रम ने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। हालांकि, उस चुनाव में हेम्ब्रन का प्रदर्शन काफी साधारण रहा था और उन्हें महज 2,573 वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन को 73,725 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर मालतो रहे थे। उनको 47,985 वोट प्राप्त हुए थे। झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के उम्मीदवार होपना टुडू को 2,622 वोट हासिल हुए थे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ बरहेट से भाजपा ने जिस गमालियल हेंब्रम को उम्मीदवार बनाया है वह इलाक़े में अच्छी पकड़ रखते हैं। 2019 तक वह पारा शिक्षक थे। उनकी पत्नी मुखिया हैं। इलाक़े में एक बड़ा अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट करवाते हैं। जिसमें कई देशों के खिलाड़ी भाग लेते… pic.twitter.com/icT3GbT6qd
— Sunny Sharad (@sunny_sharad) October 28, 2024
बता दें कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बरहेट विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी, इस सीट को JMM का गढ़ माना जाता है। साल 2014 और 2019 में हेमंत सोरेन इसी सीट से चुनाव जीते हैं। यह सीट जेएमएम का अभेद्य किला मानी जाती है, जहां उसे हराना आसान नहीं है।
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