Sahibganj/Tinpahar: साहिबगंज जिले में ओवरलोडेड ट्रकों एवं ट्रैक्टरों का बेरोक-टोक परिचालन अब गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। खासकर राजमहल, तालझारी और उधवा प्रखंडों में सड़कों पर दिन-रात दौड़ते ये भारी भरकम वाहन एवं ट्रैक्टर न केवल सड़क संरचना को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की जान-माल की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीण सड़कों से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग तक, लगभग हर जगह ओवरलोड वाहनों के कारण गड्ढे, धूल और दुर्घटनाओं का अंबार है।
तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में भी ओवरलोड ट्रक एवं ट्रेक्टर परिचालन पर अंकुश लगाने के लिए जिला परिवहन विभाग सहित स्थानीय पुलिस प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। तीनपहाड़- बोरियो मुख्य पथ पर धड़ल्ले से ओवरलोडिंग वाहनों का परिचालन जारी। वाहनों में क्षमता से अधिक माल लोड होने के कारण माल डाला से काफी ऊंचाई तक रहता है और सड़कों पर गिरता रहता है और सड़क पर स्टोन डस्ट, गिट्टी व बालू का मलवा जमा हो जाता है, जिससे आये दिन मोटरसाइकिल व अन्य छोटे वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
हालांकि परिवहन नियमों के तहत ओवरलोडिंग एक दंडनीय अपराध है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। परिवहन विभाग द्वारा नियमित जांच और कार्यवाही की कोई स्पष्ट उपस्थिति जिले में नजर नहीं आती। सूत्रों के मुताबिक, विभागीय अधिकारी कभी-कभी खानापूर्ति के लिए औचक जांच अभियान चलाते हैं, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। पत्थर, बालू और अन्य खनिज पदार्थों से लदे ओवरलोड वाहन न केवल सड़कों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं, बल्कि इनसे निकलने वाला धूल और धुआँ ग्रामीण इलाकों में वायु प्रदूषण को भी बढ़ा रहे हैं। परिणामस्वरूप सांस संबंधी बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि,
ट्रांसपोर्ट माफिया और कुछ बिचौलियों की मिलीभगत के कारण ओवरलोडिंग पर कोई नियंत्रण नहीं है।
स्थानीय निवासी कहते हैं कि,
“सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। ट्रकों से उड़ती धूल से घर-आंगन तक प्रभावित हैं। कोई देखने वाला नहीं है।”
साहिबगंज जिला परिवहन पदाधिकारी मिथलेश चौधरी ने कहा कि,
“ओवरलोड गाड़ियों की जांच कर आवश्यक कारवाई की जाएगी।”
साहिबगंज में ओवरलोड ट्रकों की समस्या अब केवल एक ट्रैफिक उल्लंघन का मामला नहीं रह गया है, यह जनता की सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आधारभूत संरचनाओं के लिए सीधा खतरा बन चुकी है। जरूरत है कि जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और जनप्रतिनिधि मिलकर इस दिशा में त्वरित और कठोर कदम उठाएं, वरना इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
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