Ahmedabad Plane Crash: मलबे में दब गए लंदन की ओर बढ़ते सपने और अरमान, अब सिर्फ तस्वीरों में बची है एक हंसते-खेलते परिवार की आखिरी मुस्कान

Ahmedabad Plane Crash: Dreams and aspirations moving towards London got buried in the rubble

Ahmedabad Plane Crash: वो तस्वीर बस एक मुस्कुराती हुई सेल्फी थी, हवाई जहाज की खिड़की के पास बैठे पांच चेहरे, जिनकी आंखों में उत्साह था, लंदन के नए जीवन की चमक थी। यह कोई आम फोटो नहीं थी, यह उस परिवार की आखिरी मुस्कान थी, जो एक साथ लंदन में बसने का सपना लेकर अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ा, लेकिन लंदन पहुंचा नहीं। 

  • मलबे में दब गए अरमान

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से ताल्लुक रखने वाले डॉ. प्रदीप व्यास और डॉ. कोनी व्यास अपने तीन बच्चों, प्रद्युत, मिराया और नकुल के साथ लंदन जा रहे थे। प्रदीप पहले से ही लंदन में कार्यरत थे, और कोनी ने भी उदयपुर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल की नौकरी छोड़ दी थी। परिवार एक होने जा रहा था, एक नये अध्याय की शुरुआत के लिए। लेकिन किसे पता था कि उड़ान भरते ही बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर तकनीकी खराबी के कारण गिर पड़ेगा और वो परिवार, जो चंद घंटे बाद एक नए देश में जीवन शुरू करने वाला था, महज एक हादसे की खबर बनकर रह जाएगा।

“मम्मी, अब हम हमेशा साथ रहेंगे ना?” यह सवाल नकुल ने अपनी मां को एयरपोर्ट पर चेक-इन के दौरान मासूमियत से पूछा था। कोनी मुस्कुराई थीं, “अब हम सब हमेशा साथ रहेंगे।” उनकी यह बात सच तो हुई, पर उस रूप में नहीं, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। अब वे सभी साथ हैं, लेकिन इस दुनिया में नहीं।

  • कोनी की आखिरी विदाई, बिना अलविदा के

पेसिफिक हॉस्पिटल, उदयपुर में डॉ. कोनी व्यास एक बेहद प्रिय डॉक्टर थीं। उन्होंने एक महीने पहले अपने इस्तीफे में लिखा था –

“अब समय है परिवार को एक साथ रखने का, बच्चे छोटे हैं, और हमें मिलकर एक नई ज़िंदगी शुरू करनी है।”

उनके सहकर्मी बताते हैं, “वो बच्चों की बातें करती थीं, लंदन के स्कूलों के बारे में रिसर्च करती थीं, और कहती थीं कि ‘अब सब कुछ ठीक हो जाएगा।’ किसे पता था, उस सब कुछ की डगर यहीं खत्म हो जाएगी।”

  • केबिन बैग में सपने और ड्रॉइंग्स

राहत टीम को मलबे से एक टूटे बैग में बच्चों की किताबें, रंगीन पेंसिलें और एक डायरी मिली, उसमें लिखा था, “मैं लंदन जाकर बर्फ में खेलूंगा। पापा के साथ हॉस्पिटल भी जाऊंगा।” – प्रद्युत की हैंडराइटिंग में। वो लाइनें अब दस्तावेज़ हैं उस बचपन की, जो भविष्य देखने से पहले ही अंधकार में समा गया।

  • राजस्थान शोक में डूबा

राजस्थान के बांसवाड़ा, उदयपुर और बीकानेर जिलों में शोक की लहर है। कहीं बेटे की अस्थियाँ लाने की तैयारी हो रही है, तो कहीं पिता बार-बार वही सेल्फी देखकर फूट-फूटकर रो रहा है। सरकार की ओर से संवेदना तो है, पर उस रिक्तता को कौन भरेगा जो एक साथ पांच जनों को खोने से बनती है?

  • एक तस्वीर, एक परिवार, एक अंतहीन सवाल

डॉ. प्रदीप व्यास द्वारा ली गई वह आखिरी सेल्फी, अब केवल एक तस्वीर नहीं, एक गवाही है। गवाही उस क्षण की, जब ज़िंदगी और मौत के बीच केवल कुछ सेकंडों का फासला रह गया था। आज भी जब आप वो फोटो देखेंगे, तो आपको लग सकता है, “ये तो एक परफेक्ट फैमिली है, जो ट्रैवल कर रही है…” लेकिन सच यह है कि वो सिर्फ सफर पर नहीं थे, वो अपने पूरे भविष्य के साथ विदा हो रहे थे।

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WASIM AKRAM
Author: WASIM AKRAM

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