Purnia/Sahibganj/Ranchi: बिहार के पूर्णिया जिले के रजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा आदिवासी टोला में आगजनी की एक दर्दनाक घटना में पांच आदिवासी लोगों की निर्मम हत्या के बाद झारखंड में आक्रोश है। इस घटना पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। शिष्टमंडल में झारखंड सरकार के मंत्री रामदास सोरेन, राजमहल लोकसभा सांसद विजय हांसदा, झामुमो के केंद्रीय सचिव व प्रवक्ता पंकज मिश्रा, साहिबगंज जिला अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, जिला उपाध्यक्ष संजीव शामू हेम्ब्रम, जिला युवा मोर्चा अध्यक्ष संजय गोस्वामी एवं जिला प्रवक्ता राजाराम मरांडी शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित टेटगामा गांव का दौरा कर पीड़ित परिजनों को ढांढस बंधाया और चावल, धोती, साड़ी और आवश्यक राहत सामग्री प्रदान की। पूरे गांव में भय और असुरक्षा का माहौल है, लोग पलायन के लिए विवश हैं।
मंत्री रामदास सोरेन, सांसद विजय हांसदा और पंकज मिश्रा ने इस घटना को सुनियोजित और क्रूर साजिश करार देते हुए बिहार सरकार और पूर्णिया पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि चार से पांच घंटे तक चलने वाली सुनियोजित हिंसा थी। एक स्थान पर मारा गया, दूसरे पर जलाया गया और फिर तीसरे स्थान पर शव फेंक दिया गया और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।”
उन्होंने बिहार में भाजपा गठबंधन सरकार की कानून व्यवस्था पर असफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि आदिवासी समाज को सिर्फ वोट बैंक समझा जा रहा है। घटना के कई दिनों बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे पीड़ित परिवारों की पीड़ा और बढ़ गई है।
झामुमो नेता पंकज मिश्रा ने कहा,
“यह एक आदिवासी विरोधी मानसिकता की परिणति है। झारखंड सरकार और झामुमो इस संघर्ष में पीड़ित परिवारों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। घटना की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।”
झारखंड सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को गंभीरता से देख रही है और यदि आवश्यक हुआ तो केंद्र से भी हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
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