Satirical Article: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का नया फरमान-ए-इरफ़ान आया था कि अब कोई यूट्यूबर या अनधिकृत मीडिया वाला अस्पताल में घुसा, तो उसकी खबर नहीं बनेगी, FIR बनेगी! लेकिन ये क्या? मंत्री जी के लाडले कृष बाबू तो कैमरा लेकर रिम्स और पारस अस्पताल में ऐसे घूम रहे हैं जैसे हॉस्पिटल नहीं, पार्क का वीडियो वॉक कर रहे हों।
वीडियो में उनके दोस्त स्पष्ट रूप से कहते हैं,
“कोई तकलीफ है तो बताइये, मंत्री जी का लड़का आये हुए हैं! बड़े लड़का हैं!”
अब जनता पूछ रही है, भाई साहब, ये कौन सी संवैधानिक धारा है, जिससे मंत्रीपुत्र हेल्पलाइन एक्टिवेट हो जाता है? और ऊपर से मंत्री पुत्र द्वारा बनाया गया वीडियो वायरल हुआ तो विपक्ष ने मौके पर चौका मारा,
“जब आम जनता मोबाइल उठाए तो गैरकानूनी, और जब मंत्री पुत्र मोबाइल उठाएं तो यह सेवा कार्य कैसे?”
मामला जब तूल पकड़ने लगा तो डैमेज कंट्रोल में आए मंत्री राधा कृष्ण किशोर जी, जिन्होंने अपने फेसबुक पर यह स्पष्ट किया कि कृष अंसारी सिर्फ एक बीमार व्यक्ति से मिलने गए थे, और “रील बनाना तो बस एक भूल थी!” अब इस तर्क से तो लगता है कि आने वाले दिनों में भूल के नाम पर एक नया मंत्रालय खोला जाएगा, “मंत्रालय ऑफ इंस्टाग्राम मिस्टेक्स”
बड़ा सवाल यह है कि मंत्री जी के फरमान के बाद कौन सा कैमरा अधिकृत है और कौन सा अनाधिकृत? किसके हाथ में कैमरा पकड़ते ही वह पत्रकार बन जाता है, और किसके हाथ में वही कैमरा राष्ट्रद्रोह का कारण बन जाता है? और अगर मंत्री पुत्र अस्पताल में घूम सकते हैं, वीडियो बना सकते हैं, तो क्या उन्हें संवैधानिक रील-निर्माता की मान्यता मिल चुकी है? क्या आने वाले दिनों में मंत्री पुत्रों को जनता की परेशानी वीडियो कॉल पर सुनने की ड्यूटी भी दे दी जाएगी?
वाकई, झारखंड में लोकतंत्र अब वीआईपी वेंटीलेटर पर है। जहाँ एक ओर मरीज़ों को बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, डॉक्टर नहीं, एम्बुलेंस नहीं, लेकिन दूसरी ओर मंत्री पुत्र को कैमरा, फॉलोअर और सुविधा सब कुछ उपलब्ध है।
इसलिए आने वाले समय में शायद ये चेतावनी हर अस्पताल के बाहर टंगी मिलेगी:
“यहाँ कैमरा चलाना मना है, सिवाय उनके, जिनके पापा मंत्री हैं!”
और अंत में एक विनम्र अपील जनता से; अगर आप बीमार हैं तो अस्पताल जरूर आइए, पर वीडियो बनाने की गलती मत करिए, कहीं ऐसा न हो कि आप इलाज की बजाय कानूनी उपचार ले रहे हों।
Disclaimer इस समाचार सामग्री का स्वरूप व्यंग्यात्मक (Satirical) है, जिसका उद्देश्य केवल जनजागरूकता, सामाजिक टिप्पणी, मनोरंजन और व्यवस्था की विसंगतियों को उजागर करना है, किसी व्यक्ति विशेष का अपमान नहीं है। हम अपने पाठकों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस सामग्री को उसके संदर्भ यानी हास्य और व्यंग्य में ही लें।
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