Malegaon Blast Case: मालेगांव बम विस्फोट मामले में करीब 16 साल बाद बड़ी कानूनी राहत देते हुए अदालत ने पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की ही थी। इसी आधार पर उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया। साध्वी प्रज्ञा का नाम इस मामले में शुरू से ही सुर्खियों में रहा। वह पहली आरोपी थीं जिन्हें इस केस में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे, लेकिन अब कोर्ट के फैसले ने उन्हें बड़ी राहत दी है।
राजनीति में फिर से एंट्री का मोड़ बना था केस
मालेगांव केस के बाद साध्वी प्रज्ञा की राजनीति में वापसी 2019 के लोकसभा चुनाव से हुई। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें भोपाल सीट से उम्मीदवार बनाया, जो पूरे देश में एक चौंकाने वाला फैसला माना गया क्योंकि उस वक्त वे आतंकवाद के गंभीर आरोपों का सामना कर रही थीं। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हराया और सांसद बनीं। हालांकि, भाजपा ने उन्हें 2024 के आम चुनाव में टिकट नहीं दिया।
गोडसे वाले बयान से मच गया था सियासी भूचाल
सांसद रहते हुए साध्वी प्रज्ञा कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में रहीं। सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब उन्होंने नाथूराम गोडसे को “देशभक्त” बताया था। यह बयान उन्होंने मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले की एक चुनावी सभा में दिया था। बयान पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नाराजगी जताई, यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर इसे “माफ न करने लायक” बयान बताया था। बाद में बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच साध्वी को माफी मांगनी पड़ी थी।
छात्र राजनीति से साध्वी बनने का सफर
प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले में हुआ। कॉलेज के दिनों में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जरिए छात्र राजनीति में कदम रखा और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ीं। उन्होंने अध्यात्म की राह अपनाते हुए ‘स्वामी पूर्णा चेतनानंद गिरी’ नाम भी धारण किया था।
हालांकि, साध्वी प्रज्ञा की छवि हमेशा विवादों से घिरी रही है, फिर चाहे वह मालेगांव विस्फोट मामला हो, संजय जोशी हत्याकांड में आरोप या उनके तीखे राजनीतिक बयान। मालेगांव केस में बरी होने के बाद अब यह देखना होगा कि भाजपा या कोई अन्य राजनीतिक दल साध्वी प्रज्ञा को फिर से सक्रिय राजनीति में भूमिका देता है या नहीं। हालांकि, उनका विवादित अतीत और बयानबाजी उन्हें बार-बार राष्ट्रीय बहस के केंद्र में लाता रहा है।
