Lunar Eclipse News: रविवार की देर रात देशभर में इस साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई दिया। लगभग पांच घंटे तक चले इस खगोलीय घटना ने आकाश को अद्भुत दृश्य में बदल दिया। रात 8:58 बजे शुरू हुए उपछाया चरण के बाद 11:00 बजे चंद्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया (अम्ब्रल क्षेत्र) में आ गया। यह पूर्ण ग्रहण रात 12:22 बजे तक जारी रहा। इसके बाद धीरे-धीरे आंशिक चरण समाप्त हुआ और 1:26 बजे चंद्रमा ने अपनी चांदनी बिखेरनी शुरू कर दी। वहीं, उपछाया ग्रहण का समापन सुबह 2:25 बजे हुआ।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल को अशुद्ध समय माना गया है। इस दौरान पूजा-पाठ, खाना बनाना, भोजन करना और शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसे सूतिक काल के समान माना जाता है। ग्रहण खत्म होते ही परंपरा के अनुसार गंगा जल या किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि ग्रहण समाप्ति के बाद किया गया दान, सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी होता है। अन्न, वस्त्र, तिल, घी, सोना, चांदी, भूमि और गौदान इस समय विशेष पुण्यकारी माने गए हैं। ग्रहण के बाद भगवान शिव, विष्णु और देवी दुर्गा की पूजा तथा मंत्र जाप का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जप करने से ग्रहण दोष शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि तथा पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यता है कि चंद्रग्रहण के बाद किया गया स्नान, दान और पूजा न केवल जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, बल्कि भाग्य को भी चमकाने का अवसर प्रदान करता है।
