भयावह रेल दुर्घटना ने खोली रैक लोडिंग प्वाइंट की पोल, Barharwa में सुरक्षा नियमों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां

The horrific railway accident exposed the rack loading point: Safety rules are being openly flouted in Barharwa

Barharwa/Sahibganj: बरहरवा रेल रैक लोडिंग प्वाइंट पर गुरुवार सुबह हुई भयावह रेल दुर्घटना, जिसमें स्टोन चिप्स से लदे मालगाड़ी के 18 डब्बे अनियंत्रित होकर पहाड़ी ढलान से लुढ़क गए, न केवल रेलवे सुरक्षा तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है बल्कि तकनीकी मानकों की अनदेखी का भी स्पष्ट प्रमाण है। इस हादसे में मालगाड़ी के दर्जनों डब्बों के क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ रेलवे लाइन, विद्युत खंभे व ओएचई तारों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। गनीमत रही कि हादसे के वक्त ट्रैक पर कोई अन्य गाड़ी नहीं थी, वरना जानहानि भी संभव थी।

सुरक्षा मानकों की खुली अवहेलना

रेलवे की साइडिंग और रैक लोडिंग संचालन के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, जिनमें ब्रेक जाँच, चक्कों की क्लॉजिंग (Wheel Scotching), लोको की मौजूदगी और लोडिंग के बाद वैधानिक निरीक्षण शामिल हैं। लेकिन गुरुवार को हुई दुर्घटना ने इस बात की पोल खोल दी कि बरहरवा के इस रैक प्वाइंट पर लोडिंग के बाद डब्बों की ठीक से क्लॉजिंग नहीं की गई। ट्रेन बिना लोको (इंजन) के खड़ी थी, जबकि Engine-on-Load (EOL) प्रणाली अब अनिवार्य है। ढलान पर खड़ी मालगाड़ी के डब्बों को Gravity Drift से रोकने हेतु कोई रोकथाम तंत्र (Retarder, Derailer, Chock etc.) नहीं लगाया गया या मौके पर कोई रेल सुरक्षा कर्मी या गार्ड तैनात नहीं था, जो नियम के विरुद्ध है।

रेल कर्मचारियों की लापरवाही भी आई सामने

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लोडिंग के बाद रेलकर्मियों द्वारा कोई सेफ्टी क्लियरेंस नहीं लिया गया था। रेलवे के सेफ्टी इंस्पेक्टर या यार्ड मास्टर की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इतनी बड़ी दुर्घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि नियमित सेफ्टी ऑडिट, ट्रायल रन या ब्रेक परीक्षण जैसे जरूरी कदम भी नहीं उठाए जा रहे थे।

नियमों की उड़ रही धज्जियां

बरहरवा लोडिंग पॉइंट के आसपास कई बार धूल, कण, ध्वनि प्रदूषण को लेकर शिकायतें होती रही हैं। परंतु पर्यावरण विभाग या रेलवे प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। नियमों के अनुसार, स्टोन लोडिंग एरिया में कंक्रीट बेस, वर्षा जल प्रबंधन और हरा पट्टी (Green Belt) आवश्यक होता है, लेकिन यहां ढलान पर खुली मिट्टी में ही लोडिंग होती है, जो बारिश में फिसलन और दुर्घटनाओं को न्योता देती है।

लापरवाही नहीं, यह सिस्टम की चूक है

यह दुर्घटना किसी एक तकनीकी खामी का नतीजा नहीं, बल्कि व्यवसायियों, रेलकर्मियों और अधिकारियों की अनदेखी से पनपी एक व्यवस्थित लापरवाही है। यदि समय रहते सख्त निरीक्षण, EOL प्रणाली की अनिवार्यता और साइडिंग ऑपरेशन का नियमित ऑडिट होता, तो यह दुर्घटना टाली जा सकती थी।

क्या कहते हैं पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी?

पूर्व रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क पदाधिकारी दीप्तिमोय दत्ता ने सुरक्षा मानकों की के प्रश्नों पर जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया। वहीं दुर्घटना होने के पीछे के कारण पर उन्होंने कहा कि,

“जाँच अभी जारी है, जाँच के बाद ही पता चल पायेगा की दुर्घटना क्यों और कैसे हुई।” – दीप्तिमोय दत्ता, सीपीआरओ, पूर्व रेलवे

यह हादसा झारखंड में रैक लोडिंग के नाम पर सुरक्षा के नियमों की अनदेखी का एक भयावह उदाहरण है। अगर समय रहते रेलवे और प्रशासन ने सबक नहीं लिया, तो अगली बार यह चूक और भी बड़ी जनहानि का कारण बन सकती है।

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Author: WM 24x7 News

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