Palamu/Daltenganj: झारखंड (Jharkhand) में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल तस्वीर एक बार फिर सामने आई है। मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (MMCH) में शुक्रवार की रात एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। छतरपुर में सड़क हादसे के बाद लाए गए गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज अंधेरे में किया गया। डॉक्टर्स ने मोबाइल की टॉर्च और आपातकालीन लाइट के सहारे करीब 40 मिनट तक इलाज किया।
मिली जानकारी के अनुसार पलामू जिले के छतरपुर में हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि 20 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। प्राथमिक उपचार के बाद सभी घायलों को मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। लेकिन जब घायल अस्पताल पहुंचे, तब वहां बिजली गुल थी।
टेक्नीशियन फोन पर था व्यस्त, नहीं जोड़ा सोलर सिस्टम
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल में बैकअप के लिए मौजूद सोलर सिस्टम को टेक्नीशियन ने कनेक्ट ही नहीं किया था। जब पूरे मेडिकल स्टाफ ने उसे फोन किया, तो वह रिश्तेदार से बातचीत में व्यस्त था। इस लापरवाही का खामियाजा घायल मरीजों को भुगतना पड़ा, जिनका इलाज मोबाइल फोन की लाइट से किया गया।
सुपरिंटेंडेंट ने मानी गलती, कार्रवाई की तैयारी
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अजय कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि टेक्नीशियन की लापरवाही से बिजली आपूर्ति बाधित रही। उन्होंने कहा कि टेक्नीशियन से शोकॉज जवाब मांगा गया है और बर्खास्तगी की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
यह घटना न केवल अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि राज्य की आपात स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़ा करती है। जहां एक ओर सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के हर संभव कार्य कर रही है, वहीं दूसरी ओर विभागीय लापरवाही और कर्मचारियों की मनमानी के कारण जिंदगी और मौत से जूझते लोगों को मोबाइल की रोशनी में इलाज कराना पड़ रहा है।
