Pakur: झारखंड हाइकोर्ट के स्पष्ट आदेश और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के बावजूद पाकुड़ जिला मुख्यालय में बिजली विभाग ने एक बार फिर अपनी मनमानी का परिचय दिया है। मुहर्रम के जुलूस को लेकर रविवार देर शाम से ही आधी रात (12:07AM) तक पूरे शहर की बिजली आपूर्ति रोक दी गई, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
हाइकोर्ट ने 10 जून 2025 को आदेश जारी करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि राज्य में किसी भी पर्व या त्योहार के दौरान जुलूस अथवा शोभायात्रा के मद्देनजर बिजली आपूर्ति बाधित नहीं की जाएगी। इसके आलोक में JBVNL ने राज्यभर के अधिकारियों और आयोजकों के लिए SOP भी जारी किया, ताकि भविष्य में बिजली कटौती की कोई अवांछित स्थिति उत्पन्न न हो।
लेकिन पाकुड़ जिले में इन दिशा-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। रविवार शाम जैसे ही मुहर्रम का जुलूस निकला, बिजली विभाग ने पूरे शहर की सप्लाई ठप कर दी, जिससे लोग अंधेरे में तड़पते रहे। उमस भरी गर्मी में जहां बुजुर्गों और बच्चों को भारी परेशानी उठानी पड़ी, वहीं विद्यार्थियों और वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों का कार्य भी बाधित हुआ। अस्पतालों और अन्य आवश्यक सेवाओं पर भी इसका असर पड़ा।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। त्योहारों या कार्यक्रमों के दौरान बिजली काट देना यहां एक आम बात बन चुकी है। लोगों ने सवाल उठाया है कि जब हाईकोर्ट और JBVNL दोनों ने यह स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं, तो फिर पाकुड़ में अधिकारियों की यह मनमानी क्यों?
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या हाईकोर्ट के आदेशों का कोई मतलब नहीं है? क्या SOP केवल कागजों तक सीमित रह गया है? क्या बिजली विभाग के अधिकारी किसी जवाबदेही से परे हैं? क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इसकी सुध नहीं लेनी चाहिए? या उन्हें इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि उनके घरों में महंगे जेनेरटर्स से बिजली बहाल हो जाती और उन्हें आम लोगों जैसे उमष भरी गर्मी का एहसास नहीं होता?
कुछ स्थानीय लोगों ने जब बिजली विभाग के अधिकारी से पूछा कि बिजली क्यों बाधित है और कबतक बहाल की जाएगी तो उन्होंने कहा कि, “मुहर्रम जुलुश के लिए विद्युत आपूर्ति बाधित की गयी है, जुलुश खत्म होने के बाद ही आपूर्ति बहाल की जाएगी।”
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मामले की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की अव्यवस्था की पुनरावृत्ति न हो।
