Ranchi: इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर देशभर में लाखों मस्जिदों, ईदगाहों और खुले मैदानों में विशेष नमाज अदा की गई। सफेद कपड़ों में लिपटे हुए लाखों मुसलमानों ने एक साथ सजदे में झुककर खुदा की इबादत की और मुल्क में अमन-चैन, भाईचारे और तरक्की की दुआ मांगी। ईद की इस खास नमाज के साथ ही इंसानियत, कुर्बानी और सेवा के इस त्योहार ने सामाजिक एकता का संदेश भी दिया। सुबह से ही देश के कोने-कोने में मुस्लिम समाज के लोग परिवार के साथ नमाज अदा करने ईदगाहों की ओर उमड़ पड़े।
मस्जिदों और ईदगाहों में दिखा उत्साह और श्रद्धा का अद्भुत संगम
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद से लेकर लखनऊ की आसिफी मस्जिद, हैदराबाद की मक्का मस्जिद, भोपाल की ताज-उल-मसाजिद, कोलकाता की नखोदा मस्जिद, पटना की हरमंदिरी तक हर जगह अल्लाहु अकबर की तकबीर से वातावरण गूंज उठा। रांची की ईदगाह मैदान में हजारों की संख्या में नमाजी पहुंचे और नमाज के बाद एक-दूसरे से गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दी। झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और बंगाल में भी बड़े स्तर पर सामूहिक नमाज अदा की गई।
अमन, इंसानियत और भाईचारे का पैगाम
देशभर के इमामों और धार्मिक गुरुओं ने अपने खुतबों (उपदेशों) में इस्लाम की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कुर्बानी के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि बकरीद केवल जानवर की कुर्बानी नहीं, बल्कि अपने अहम, लालच और नफरत की कुर्बानी देने का दिन है। ईदगाहों में दुआ के दौरान खासतौर पर देश में शांति, सद्भाव, बाढ़ और हिंसा से पीड़ित लोगों की सलामती, और फिलिस्तीन जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अमन की दुआ मांगी गई।
पुलिस प्रशासन भी रहा मुस्तैद
त्योहार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए स्थानीय प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। ड्रोन से निगरानी, जगह-जगह चेकिंग और पुलिस गश्त की व्यवस्था रही। कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
कुर्बानी का सिलसिला भी शुरू
नमाज के बाद लोगों ने पैगंबर इब्राहिम की परंपरा का निर्वहन करते हुए कुर्बानी दी। इस अवसर पर विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को मांस वितरित किया गया। कई मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने अस्पतालों, अनाथालयों, वृद्धाश्रमों में भी भोजन और राहत सामग्री वितरित की।
त्योहारों में छिपा है सामाजिक सौहार्द का संदेश
बकरीद ने एक बार फिर साबित किया कि भारत की विविधता में एकता ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। एक-दूसरे के पर्वों का सम्मान और भागीदारी ही देश को मज़बूत बनाता है।
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