Kotalpokhar/Barharwa: साहिबगंज जिला में इन दिनों एक ऑडियो रिकॉर्डिंग ने प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली और अवैध कारोबार के बीच की सांठगांठ को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल हुए इस वीडियो में एक न्यूज़ चैनल के संवाददाता और बरहरवा अंचलाधिकारी की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान हाजिकुल के बीच की बातचीत को सुना जा सकता है, जिसमें वह यह कहता है कि,
“सीओ साहब रिस्क नहीं लेंगे, अगर गाड़ी चलेगी आप प्रतिदिन 2000 रुपये चेकनाका पर तैनात मजिस्ट्रेट से ले लीजिएगा।”
हालांकि इस वायरल वीडियो/ऑडियो की पुष्टि WM 24×7 News नहीं करता है, लेकिन यह बयान अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रहा है।
ऑडियो रिकॉर्डिंग के इशारे
ऑडियो में संवाददाता की ओर से ऐसा प्रतीत होता है कि उसने पहले पत्थरों के अवैध परिवहन के खिलाफ रिपोर्टिंग कर अधिकारियों पर दबाव बनाया था। अब संभवतः उसी रिपोर्टिंग को ‘मैनेज’ करने या कथित समझौते के रूप में कुछ “वसूली” की कोशिश हो रही थी। हाजिकुल जैसे होमगार्ड जवान की इसमें सक्रिय भूमिका स्पष्ट है, जो न केवल संवाद को आगे बढ़ा रहा है, बल्कि खुद को प्रशासन और मीडिया के बीच एक संधि सूत्र के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।
मजिस्ट्रेट से पैसे वसूलने की सलाह क्यों?
ऑडियो में मजिस्ट्रेट से पैसे लेने की बात होना बेहद गंभीर संकेत है। यदि किसी मजिस्ट्रेट को प्रतिदिन ₹2000 देने की बात कही जा रही है, तो यह सवाल उठता है कि,
- यह धन किस कार्य के बदले दिया जाएगा?
- क्या मजिस्ट्रेट की तैनाती केवल वसूली के लिए की गई है?
- क्या पूरी प्रशासनिक मशीनरी इस काले कारोबार की छाया में काम कर रही है?
पत्रकार की भाषा ने किया पत्रकारिता की मर्यादा का उल्लंघन
ऑडियो में संवाददाता की ओर से अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) को लेकर जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया है, जैसे कि “सबका नकेल कस देंगे”, “अब एसडीओ साहब भी रडार पर हैं”, वह पत्रकारिता की मर्यादा और उसूलों के पूरी तरह खिलाफ है। लोकतंत्र में पत्रकारिता का कार्य सत्ता से सवाल करना ज़रूर है, लेकिन वह गरिमा, तथ्यों और नैतिकता के साथ होना चाहिए। इस तरह की भाषा पत्रकार के गिरे हुए स्तर और “प्रेस” की आड़ में व्यक्तिगत एजेंडा या दबाव की राजनीति की ओर इशारा करती है। पत्रकारिता में अगर व्यक्तिगत आक्रोश, धमकी या बदले की भावना दिखने लगे, तो वह पत्रकार नहीं बल्कि “दलाल” की भूमिका में आ जाता है, जो लोकतंत्र के लिए और भी घातक होता है।
पत्रकारिता पर भी उठ रहे सवाल
यह पूरा प्रकरण पत्रकारिता की निष्पक्षता और नैतिकता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। यदि किसी रिपोर्टर द्वारा रिपोर्टिंग के बदले में डीलिंग की कोशिश की गई है, तो यह न केवल पत्रकारिता की गरिमा को गिराता है, बल्कि लोकतंत्र की उस चौथी शक्ति को भी कमजोर करता है, जो समाज में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होती है।
कोटालपोखर: अवैध कारोबार का हॉटस्पॉट?
बरहरवा अंचल का कोटालपोखर क्षेत्र लंबे समय से अवैध पत्थर खनन और परिवहन के लिए बदनाम रहा हैं। प्रशासनिक निष्क्रियता और मिलीभगत की वजह से यह कारोबार फलने-फूलने का आरोप लगता रहा है। एक ओर स्थानीय ग्रामीणों की जमीनों से प्राकृतिक संसाधनों की लूट मची हुई है, वहीं दूसरी ओर, यह पूरा तंत्र चंद अधिकारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों के गठजोड़ पर चल रहा है और अब इसमें कुछ तथाकथित पत्रकार भी शामिल हैं।
ज़रूरत है जांच और पारदर्शिता की
यह मामला अब केवल पत्रकार और अंचलाधिकारी की सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान की बातचीत भर नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, साठगांठ और नैतिक पतन की तस्वीर को सामने लाता है। ज़रूरत इस बात की है कि, इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की फोरेंसिक जांच हो। सीओ, मजिस्ट्रेट, और वीडियो में नामित होमगार्ड जवान की भूमिका की स्वतंत्र जांच कराई जाए। बरहरवा और कोटालपोखर क्षेत्र में पत्थर परिवहन से जुड़े सभी दस्तावेजों और चेकनाका रिकॉर्ड की भी छानबीन की जाए।
क्या कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी, राजमहल?
इस पुरे मामले में जब राजमहल अनुमंडल पदाधिकारी सदानंद महतो से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मामले की जांच करवाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।”
इस रिकॉर्डिंग ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि जब तक जांच निष्पक्ष नहीं होगी और दोषियों को दंड नहीं मिलेगा, तब तक ऐसे अवैध कारोबार न केवल फलते-फूलते रहेंगे बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी खोखला करते रहेंगे।
पुरे मामले पर जानकारी लेने और पक्ष जानने बरहरवा अंचलाधिकारी और उनके सुरक्षा में तैनात होमगार्ड जवान हाजिकुल से संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
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