Ranchi: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए हार गई जिंदगी: पंचायत सेवक सुखराम महतो का निधन, BDO समेत चार पर लगाए थे गंभीर आरोप

Ranchi: Lost life while fighting against corruption: Panchayat servant Sukhram Mahato died, had made serious allegations against four including BDO

Ranchi: झारखंड के गिरिडीह ज़िले से जो ख़बर आई, वह सिर्फ़ एक सरकारी कर्मचारी की मौत की सूचना नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्था की असफलता और ईमानदारी की शहादत की दस्तक है। पंचायत सेवक सुखराम महतो, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ डटे हुए थे, रविवार को रांची के रिम्स अस्पताल में ज़िंदगी की जंग हार गए। वह अकेले नहीं थे। उनके साथ खड़ा था सत्य, ईमानदारी और व्यवस्था में बदलाव की उम्मीद। लेकिन अफ़सोस, उनकी ये लड़ाई उन्हें मानसिक रूप से इतना तोड़ गई कि उन्होंने कीटनाशक पीने जैसा आत्मघाती कदम उठाया।

क्या था सुखराम महतो का अपराध?

सिर्फ़ इतना कि उन्होंने भ्रष्टाचार को देख चुप रहने से इनकार कर दिया। उन्होंने डुमरी के बीडीओ, मुखिया पति और अन्य तीन लोगों पर भ्रष्टाचार और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने विधायक जयराम महतो को पत्र लिखकर अपना दर्द बताया, लेकिन अफसरशाही की चुप्पी और लापरवाही ने उन्हें अंतिम समय तक राहत नहीं दी।

एक ईमानदार की मौत या सिस्टम की हत्या?

सवाल बड़ा है, सुखराम की मौत को क्या कहा जाए? क्या यह आत्महत्या थी या प्रशासनिक उत्पीड़न की वजह से हुई एक प्रणालीगत हत्या? जब कोई सरकारी कर्मी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की सज़ा ज़हर पीकर भुगते, तो यह लोकतंत्र नहीं, एक भीतरी तानाशाही की पहचान बनती है।

विधायक जयराम ने की उच्चस्तरीय जाँच की मांग

डुमरी विधायक जयराम महतो ने इस मामले को गंभीरता से उठाया है। उन्होंने बीडीओ के खिलाफ हत्या का मुकदमा, बर्खास्तगी और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता की मांग की है। यह केवल न्याय नहीं, एक प्रतीकात्मक जवाब भी होगा कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। सरकार को चाहिए कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को सज़ा दिलाई जाए। साथ ही, ईमानदारी से काम करने वाले कर्मियों की मानसिक और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

सुखराम महतो चले गए। लेकिन उनके सवाल, उनका संघर्ष और उनका साहस जिंदा है। उनकी मौत एक चेतावनी है कि अगर सिस्टम में सुधार नहीं हुआ, तो ईमानदारी सबसे बड़ा अपराध बनती जाएगी। हमें तय करना होगा कि हम सुखराम जैसे सिपाहियों के साथ हैं या उनके उत्पीड़कों के साथ?

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WASIM AKRAM
Author: WASIM AKRAM

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