Ranchi, 16 जून 2025 (सोमवार): झारखंड (Jharkhand) में राज्य महिला आयोग के गठन में हो रही देरी को लेकर भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि महिला आयोग का न होना, खुद एक अपराध है और यह इस बात का प्रतीक है कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील हो चुकी है।
सरकार की नीयत में ही खोट है: राफिया नाज़
राफिया ने बताया कि वर्ष 2020 में महिला आयोग का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से अब तक उसका पुनर्गठन नहीं किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब महिलाओं से जुड़े यौन शोषण, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और बाल विवाह जैसे 5,200 से अधिक मामले लंबित हैं, तब राज्य सरकार की चुप्पी किस बात का संकेत देती है?
“झारखंड की बेटियाँ न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं, और सरकार संवैधानिक मंच तक चालू रखने में विफल रही है,” – राफिया नाज़
न्याय से वंचित हैं हजारों पीड़ित महिलाएं
राफिया ने कहा कि महिला आयोग एक ऐसा मंच है जहाँ महिलाएं निडर होकर अपनी शिकायतें दर्ज करा सकती हैं और जांच व कार्रवाई की अपेक्षा रख सकती हैं। लेकिन आयोग के अभाव में महिलाएं आज सरकारी दफ्तरों की दीवारों से टकरा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महिला पुलिस पिकेट, विशेष अदालत और ग्रामीण सुरक्षा व्यवस्था जैसे घोषणाएं महज कागजों पर हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में आज भी थानों की दूरी, महिला पुलिसकर्मियों की कमी और FIR दर्ज कराने में हो रही देरी महिलाओं को असहाय बना रही है।
NCRB आंकड़े दे रहे हैं सरकार की असंवेदनशीलता की गवाही
राफिया नाज़ ने एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि साल 2023 में झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 6,313 मामले दर्ज हुए, जिनमें बलात्कार के 1,052, छेड़छाड़ के 1,498, और दहेज संबंधित 890 मामले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से आधे से अधिक मामलों में अब तक चार्जशीट भी दाखिल नहीं हुई है।
आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान
राफिया ने चिंता जताई कि आयोग की अनुपस्थिति में खासकर आदिवासी और दूरदराज़ की महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हैं। उन्होंने बताया कि 2021 से 2023 के बीच 1,400 से अधिक बाल विवाह के मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन उनमें 80% मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
“जब संवैधानिक संस्थाएं निष्क्रिय हो जाएं, तो सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई कौन लड़ेगा?” – राफिया नाज़
राजनीतिक पाखंड कर रही है राज्य सरकार
केंद्र सरकार की “नारी शक्ति वंदन योजना”, “सुकन्या समृद्धि योजना” और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी पहलों का हवाला देते हुए राफिया ने कहा कि केंद्र जहां महिलाओं को सशक्त कर रहा है, वहीं झारखंड सरकार महिला आयोग तक गठित नहीं कर पा रही – यह दोहरे चरित्र और राजनीतिक पाखंड का उदाहरण है।
अंत में राफिया नाज़ ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा हर पीड़िता की आवाज़ बनेगी और राज्य सरकार को जवाब देना ही होगा कि आखिर महिला आयोग अब तक क्यों निष्क्रिय है।
